Bottom Article Ad

समरसता सनातन अध्यात्म और सांस्कृतिक विश्व बंधुत्व का उदाहरण है अयोध्या धाम:दिलीप पांडे




राम मंदिर न्याय, सत्य और करुणा का प्रतीक प्रभु श्रीराम का जीवन भारतवासियों के लिए ही नही अपितु सम्पूर्ण धरा के लिए रामराज्य का उदाहरण है। रामराज्य एक ऐसा राज्य है जहां सभी लोग सुखी और समृद्ध होते हैं, भाजपा जिलाध्यक्ष दिलीप पांडे जी ने बताया कि 22 जनवरी, 2024 को राम मंदिर का उदघाटन न केवल धार्मिक आयोजन है, बल्कि सांस्कृतिक पुनर्जागरण का प्रतीक भी है। यह राम जन्मभूमि पर लगभग 500 वर्षों तक चले संघर्ष विवाद का शांतिपूर्ण समाधान है और हिंदू समुदाय के लिए ऐतिहासिक महत्व का क्षण है।मंदिर के निर्माण से परे, इसका उद्घाटन आस्था, धैर्य और संकल्प की विजय का प्रतीक है। सदियों से चले अथक प्रयासों, संघर्षों और बलिदानों को यह दिन परिणति प्रदान करता है। राम मंदिर हिंदू संस्कृति की समृद्ध विरासत, ऐतिहासिक स्मृति और आध्यात्मिक मूल्यों का प्रतीक बनकर उभर रहा है।विदित है कि कुर्म द्वादशी 22 जनवरी को तीन योग एक ही दिन पड़ रहे हैं ? क्या आपको पता है कि एक सप्ताह पहले प्रारंभ होने वाला प्राण प्रतिष्ठा समारोह कुर्म द्वादशी ( 22 जनवरी)  के मध्यान काल में कुछ ही सेकिंड के अभिजित मुहूर्त से जुड़ रहा हैं । जी हां , राम मंदिर की प्राण प्रतिष्ठा का मुख्य और अतिशुभ विशेष मुहूर्त केवल 84 सेकंड का होगा । उसी समय भगवान रामलला की मूर्ति प्राणवान हो जाएंगी ।
उसी समय मर्यादा पुरुषोत्तम भगवान राम सदा के लिए इस मूर्ति में सदा सदा के लिए जीवंत हो जाएंगे । ठीक वैसे ही , जैसे करीब 9 लाख वर्ष पूर्व त्रेतायुग में मां कौशल्या के गर्भ से अवतरित हुए थे । इस अलौकिक दृश्य का आनन्द कुछ हजार श्रद्धालु सामने बैठकर साक्षात लेंगे । जबकि अरबों रामभक्त अपने घरों में बैठकर टीवी के पर्दे पर देखकर, अपने आसपास के मंदिरों में पूजन आराधन करके भगवान राम को दंडवत प्रणाम करेंगे ।प्रभु श्रीराम का जीवन भारतवासियों सहित विश्व पटल के लिए रामराज्य का उदाहरण है। रामराज्य एक ऐसा राज्य है जहां सभी लोग सुखी और समृद्ध होते हैं। जहां सभी के साथ न्याय और समानता का व्यवहार किया जाता है। जहां सभी लोग एक-दूसरे के प्रति प्रेम और सद्भावना रखते हैं।प्रभु श्रीराम के जीवन से हमें कई महत्वपूर्ण प्रेरणाएं मिलती हैं। वे हमें सुशासन, प्रगति और रामराज्य के लिए प्रेरित करते हैं।श्रीराम एक न्यायप्रिय और दयालु राजा थे। वह सम्पूर्ण श्रष्टि के स्वामी है धर्म इस्थापना मानवता की रक्षा के लिए प्रभु मानव रूप में धरती पर अवतरित हुए  उन्होंने अपने राज्य में सभी लोगों के लिए समानता और न्याय सुनिश्चित किया। वे हमेशा अपनी प्रजा की भलाई के लिए काम करते थे।श्रीराम जी के सुशासन के जीवांत उदाहरण तब तक रहेंगे जब तक श्रष्टि रहेगा मानव जाति का अस्तित्व रहेगा  
प्रभु श्रीरामजी ने अपने राज्य में सभी लोगों के लिए समान कानून बनाए।.उन्होंने गरीबों और असहायों की मदद की।. उन्होंने अपने राज्य में शांति और व्यवस्था बनाए रखी।प्रभु श्रीराम के सुशासन के उदाहरण हमें बताते हैं कि एक अच्छा शासक कैसे होना चाहिए। वह न्यायप्रिय, दयालु और प्रजा की भलाई के लिए काम करने वाला होना चाहिए। श्रीराम एक कुशल और प्रगतिशील राजा थे। उन्होंने अपने राज्य को एक समृद्ध और शक्तिशाली राज्य बनाया। उन्होंने कृषि, व्यापार और गुरुकुल व्यवस्था को बढ़ावा दिया।रामराज्य की प्रगति के उदाहरण हमें बताते हैं कि एक अच्छा शासक कैसे होना चाहिए। अच्छा शासक प्रगतिशील और अपने राज्य के लोगों के लिए बेहतर जीवन की तलाश करने वाला होना चाहिए। रामराज्य एक ऐसा राज्य है जहां सभी लोग सुखी और समृद्ध होते हैं। जहां सभी के साथ न्याय और समानता का व्यवहार किया जाता है। जहां सभी लोग एक-दूसरे के प्रति प्रेम और सद्भावना रखते हैं।प्रभु श्रीरामजी के राज्य में सभी लोग सुखी और समृद्ध थे। वहां सभी लोग एक-दूसरे के प्रति प्रेम और सद्भावना रखते थे। इसलिए प्रभु श्रीरामजी का अयोध्या में हो रहा भव्य मंदिर भारत के सुशासन, प्रगति और रामराज्य के लिए प्रेरणा हैं। उनके जीवन से हमें कई महत्वपूर्ण मूल्यों और सिद्धांतों की शिक्षा मिलती है। प्रभु श्रीरामजी के जीवन से प्रेरणा लेकर सभी भारतवासी एक सुंदर और समृद्ध समाज बनाने के लिए प्रयास करेंगे।राम मंदिर का निर्माण सिर्फ पत्थरों का नहीं, बल्कि एक समावेशी, न्यायप्रिय और आध्यात्मिक समाज के निर्माण का प्रतीक है। यह आध्यात्मिक जागृति और सामाजिक सुधार का अवसर है। रामजी हमारे आराध्य आदर्श है हमें राम जी के पदचिन्हों पर चलना चाहिये  सत्य, करुणा, और न्याय एकत्व का अनुसरण करने का संकल्प लेना चाहिए।

एक टिप्पणी भेजें

0 टिप्पणियाँ