📍 गुजरात | वडोदरा | 9 जुलाई 2025
गुजरात के वडोदरा में बुधवार को हुए भीषण पुल हादसे में अब तक 13 लोगों की मौत हो चुकी है, जबकि कई अन्य अब भी लापता बताए जा रहे हैं। हादसे ने न सिर्फ सिस्टम की लापरवाही को उजागर किया है, बल्कि टोल टैक्स बचाने की मानसिकता और पुराने ढांचे पर निर्भरता जैसी गंभीर समस्याओं की भी पोल खोल दी है।
40 साल पुराना पुल, लेकिन भारी वाहनों का दबाव बरकरार
1985 में बना वडोदरा-आणंद को जोड़ने वाला गंभीरा पुल लंबे समय से जर्जर अवस्था में था। फिर भी उस पर भारी वाहनों की आवाजाही लगातार जारी रही। स्थानीय लोगों का कहना है कि जब भी कोई भारी वाहन गुजरता था, तो पूरा पुल हिलता था। बोरसाद गांव के निवासी देवेंद्र पटेल ने बताया, "हर बार जब कोई ट्रक गुजरता था तो पुल कांपता था, हादसा होना तय था।"
टोल टैक्स बचाने की होड़ बनी हादसे की वजह
यह हादसा सिर्फ पुल की कमजोर हालत की वजह से नहीं हुआ, बल्कि सिस्टम और चालकों की लापरवाही की भी एक बड़ी भूमिका रही। दरअसल, मुंबई-अहमदाबाद हाईवे के टोल से बचने के लिए भारी मालवाहक वाहन इस पुराने पुल का रास्ता पकड़ते थे, जिससे उन्हें 30-35 किलोमीटर का फासला भी कम करना पड़ता था।
इस आर्थिक बचत की कीमत 13 जानों से चुकानी पड़ी।
क्या यह हादसा रोका जा सकता था?
स्थानीय लोग बीते कई सालों से नए पुल की मांग करते रहे हैं। अधिकारियों के मुताबिक बामनगाम और आस-पास के गांवों से लगातार शिकायतें मिल रही थीं। हालांकि, नवंबर 2024 में सरकार ने नए पुल का प्रस्ताव पास किया था, जिसकी अनुमानित लागत ₹217 करोड़ है, लेकिन काम अभी शुरू नहीं हो सका।
हादसे की स्थिति
बुधवार दोपहर, पुल का एक हिस्सा अचानक भरभरा कर गिर गया।
नदी में गिरने वाले वाहन:
दो ट्रक
एक एसयूवी
एक पिकअप वैन
एक ऑटो रिक्शा
एक टैंकर पुल के मुहाने पर फंसा रह गया।
मुख्यमंत्री ने दिए जांच के आदेश
मुख्यमंत्री भूपेंद्र पटेल ने हादसे की जांच के आदेश दिए हैं। मगर असली सवाल यह है कि क्या जांच और मुआवजा ही काफी है, या सिस्टम को वक्त रहते जवाबदेही और कार्रवाई भी करनी चाहिए?
📌 यह सिर्फ हादसा नहीं, चेतावनी है। अगर अब भी नहीं जागे, तो अगली बारी किसी और पुल की होगी।
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